केदारनाथ मंदिर कहां है?
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath mandir) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से लगभग 3585 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है। इस सम्पूर्ण क्षेत्र को केदारनाथ धाम (Kedarnath dham) कहा जाता है जो तीनों और पहाड़ों से घिरा हुआ है। केदारनाथ के एक तरफ केदार, दूसरी तरफ खर्चकुंड और तीसरी तरफ भरतकुंड नामक पहाड़ हैं। तीनों पहाड़ों की ऊचाइ समुन्द्र से कम से कम बीस हजार फुट है।
यह स्थान पाँच नदियां – स्वर्णगौरी, सरस्वती, क्षीरगंगा, मधुगंगा तथा मंदाकिनी का संगम भी है। इन में से अब केवल मंदाकिनी ही आज तक अस्तित्व में है। यही मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर।
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath mandir) का महत्त्व क्या है?
केदारनाथ मंदिर उत्तर भारत में स्थित हिन्दुओं के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर *छोटा चार धाम अर्थात उत्तराखंड के चार धाम में एक है। केदारनाथ मंदिर पंच केदार का एक हिस्सा भी है और शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक भी है। इस मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग बहुत ही पुराना बताया जाता है।
मान्यता ये है कि भारत के चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम की दर्शन करने से पहले भक्त को केदारनाथ (Kedarnath mandir) का दर्शन करना चाहिए अन्यथा तीर्थयात्रा सफल नहीं मानी जाती है। लोग मानते हैं कि केदारनाथ के साथ नर-नारायण के दर्शन करने से व्यक्ति के सम्पूर्ण पाप समाप्त हो जाते हैं।
धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार केदारनाथ को अर्द्ध ज्योतिर्लिंग माना जाता है तथा ये कहा जाता है कि नेपाल स्थित श्री पशुपतिनाथ मंदिर को मिलाकर ही यह पूर्ण हो जाता है।
एक और महत्त्व यह भी है कि विष्णु के 24 अवतार में एक अवतार नर और नारायण ऋषि की तपोभूमि है केदार घाटी जहां के दो पहाड़ों को इन्हीं नामों से पुकारा जाता है – नर और नारायण पर्वत।
नोट : *आप के जानकारी के लिए बता दें कि उत्तराखंड के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को मिलाकर छोटा चार धाम कहा जाता है।
केदारनाथ मंदिर का इतिहास :
मंदिर किसने निर्माण किया था इस के बारे में ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल के बाद पाण्डव ने या उनके वंश के जनमेजय (अर्जुन के पौत्र परीक्षित राजा के पुत्र) ने केदारनाथ मंदिर (Kedarnath mandir) का निर्माण किया था। बताया गया है कि बाद में यह मंदिर बहुत पुराना हो जाने के कारण उसी स्थान पर लगभग 8 वीं शताब्दी में जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने इसका पुनः निर्माण करवाया था। आज इसे ही हम केदारनाथ मंदिर के रूप में जानते हैं।यदि आप कपड़ों के बाज़ार में हैं, तो हमारा प्लेटफ़ॉर्म आपके लिए सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल है!
सन् 2013 में उत्तराखण्ड और हिमाचल में अचानक आई अभूतपूर्व बाढ़ और भूस्खलन के प्रभाव से केदारनाथ घाटी को भारी क्षति पहुँच गया था। पर इस प्राकृतिक आपदा में मंदिर के पीछे एक बड़ी सी चट्टान आकर रुक जाने के कारण मंदिर का मुख्य भाग और कई साल पुराना गुंबद सुरक्षित ही बचा था।
केदारनाथ के संदर्भ में प्रचलित पौराणिक कथाएं :
- पुराण अनुसार इस जगह पर कभी विष्णु भगवान के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने दर्शन देकर उनके प्रार्थना अनुसार हमेसा इसी जगह पर ज्योतिर्लिंग स्वरूप में रहने का वचन दिया।
- एक और कथा के अनुसार महाभारत के युद्ध पश्चात पांडव युद्ध मे किए गए हत्याओं के प्रायश्चित के लिए शिव से क्षमा मांगने हिमालय की और गए। शिव जी उनको क्षमा देना नहीं चाहते थे इसलिए केदारनाथ जा कर रूप बदलकर छिपते रहे। जब पाँच पांडव केदारनाथ पहुँचे तो शिव जी ने बैल का रूप धारण कर रखा था।
- पाँच पांडवों को देखकर शिव जी का बैल रूप वहां से धरती में समा गया। बाद में उनके शरीर के ऊपर का भाग नेपाल के काठमाण्डू में प्रकट हुआ जहां अभी पशुपतिनाथ का मंदिर है। ऐसे ही शिव की हाथ तुंगनाथ में, मुंह रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसके कारण ही केदारनाथ के साथ इन चार स्थानों को मिलाकर पंचकेदार कहा जाता है।
केदारनाथ मंदिर का वर्णन :
वास्तुकला का भव्य संयोग केदारनाथ मंदिर के संरचना कटा हुआ पत्थरों के बड़े बड़े मजबूत शिलाखंडों को जोड़कर बनाइ गई है। मोटी दीवारों से निर्मित और ऊंचे चबूतरे पर खड़ा यह विशाल मंदिर की ऊचाइ लगभग 80 फुट, लम्बाइ 187 फुट और चौड़ाइ 80 फुट है।
मंदिर के बहुत ही प्राचीन गर्भ गृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग एक विशाल शिला के रूप में मौजूद है। गर्भ गृह के बाहर पार्वती माता की मूर्ति है और साथ में पाँच पांडव, कृष्ण एवं कुन्ती की मूर्तियां भी हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर गणेश और नन्दी की मूर्तियाँ हैं। परिक्रमा पथ में अमृत कुण्ड तथा भैरव की मूर्ति है। इसके साथ ही लगभग 50 मीटर उत्तर-पश्चिम में आदि गुरु शंकराचार्य के समाधि भी है।
श्री केदारनाथ मंदिर (Kedarnath ka mandir) में आने वाले सभी भक्त खुद अपने हाथों से भगवान के ज्योर्तिलिंग की पूजा आराधना कर सकते हैं। भक्तों को पूजा आदि में सहायता के लिए आचार्य वेदपाठी नियुक्त किए गए हैं तथा नित्य पूजा आदि के लिए अलग पुजारी नियुक्त है। यहां शैव विधि से श्री केदारनाथ की पूजा की जाती है।
केदारनाथ मंदिर के संदर्भ में कुछ रहस्यात्मक और रोचक बातें :
• बताया जाता है कि केदारनाथ और रामेश्वरम मंदिर एक ही देशांतर रेखा पर स्थित हैं। इन दो मंदिरों के अलावा इनके बीच में तेलंगाना के कालेश्वर, आंध्रप्रदेश के श्रीकालाहस्ती मंदिर, तमिलनाडु के एकम्बरेश्वर मंदिर, तामिलनाडु के अरुणाचल मंदिर, चिदंबरम के तिलई नटराज मंदिर उसी देशांतर रेखा पर अवस्थित हैं। • वर्तमान केदारेश्वर मंदिर के पीछे कभी पांडवों ने मंदिर का निर्माण किया था, लेकिन किसी समय यह मंदिर लुप्त हो गया था। बाद में आदि शंकराचार्य ने एक नए मंदिर का निर्माण करवाया, जो करीब 1300-1900 ईस्वी के आसपास 400 वर्ष तक बर्फ के नीचे दबा हुआ था। बर्फ से बाहर निकलने पर मंदिर पूर्णत: सुरक्षित था। वैज्ञानिक कहते हैं कि मंदिर की पत्थर पर आज भी इसके निशान मौजूद हैं। • शीत ऋतु में 6 महिना तक मंदिर बंद कर दिए जाते हैं। इस के बाद मई महिना में केदारनाथ के कपाट खुलते हैं। 6 महिना तक मंदिर और आसपास कोई नहीं होता लेकिन इस समय मंदिर में दीपक भी जलता है और नित्य पूजा भी होती रहती है।
केदारनाथ कैसे पहुंचे?
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath mandir) जाने के लिए यात्री हवाई यात्रा, रेल या सड़क मार्ग में से कोई भी माध्यम को चुन सकता है :
- हवाई जहाज से:
केदारनाथ के लिए निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो केदारनाथ से करीब 250 किलोमीटर दूर है। देश के बहुत से शहरों से जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के लिए दैनिक उड़ान सेवा उपलब्ध हैं।
हाल में यात्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखते हुए सरकार ने गुप्तकाशी, फटा या सेरसी से केदारनाथ तक हेलिकप्टर सेवा सुरु किया है। इससे केदारनाथ यात्रा (Kedarnath yatra) का खर्च में वृद्धि तो होगी पर आपको सुविधा जरुर होगा।
- रेल से:
केदारनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो केदारनाथ से करीब 230 किलोमीटर की दूरी पर है। देश के कई प्रमुख स्थल से ऋषिकेश तक रेल सेवा अच्छी तरह से सञ्चालित है।
- सड़क मार्ग से:
उत्तराखंड राज्य के कई प्रमुख स्थल जैसे देहरादून, हरिद्वार या ऋषिकेश आदि से गौरीकुंड के लिए बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। नई दिल्ली से भी ऋषिकेश के लिए बस उपलब्ध होती है।
गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए करीब 15 किलोमिटर पैदल यात्रा करना होता है। हाल ही में ATV अर्थात अल टेरैन व्हीकल चलाने की योजनाएं भी बन रही है।
अन्य जरुरी जानकारी :
शीतकाल में केदारनाथ मंदिर बंद रहती है। वैसे तो मंदिर खोलने और बंद करने के लिए मुहूर्त देखा जाता है, लेकिन प्राय अक्टूबर-नवंबर (भाई दूज) में कपाट बंद होता है और छ महिना बाद अर्थात अप्रैल-मई (अक्षय तृतीया) में पुनः खोल दिया जाता है। केदारनाथ के कपाट बंद करने के बाद यहां की पंचमुखी प्रतिमा को नीचे उखीमठ में लाया जाता है।
मंदिर खुलने और बंद होने का दिन :
2023 में मंदिर खुलने का दिन: केदारनाथ मंदिर 25 अप्रैल 2023 मंगलवार को खुलेगा। 2023 में मंदिर बंद होने का दिन: केदारनाथ मंदिर के कपाट दिपावली के 2 दिन पश्चात भाई दूज पर बंद कर दिया जात है। 2023 की दिपावली 12 नवंबर को है, तो संभवत केदारनाथ मंदिर 14 नवंबर से बंद कर दिया जाएगा।
मंदिर के दैनिक कार्यक्रम समय :
- केदारनाथ मंदिर दर्शन के लिए सुबह 7.00 बजे से खुलता है।
- दिनके 1.00 से 2.00 बजे तक विशेष पूजा करके मंदिर बंद कर दिया जाता है।
- शामको 5 बजे मंदिर को पुनः भक्तों के लिए खोला जाता है।
- शामको 7.30 बजे से 8.30 बजे तक मंदिर में नियमित आरती की जाती है।
- रात 8.30 बजे पश्चात मंदिर बंद रहता है।
निष्कर्ष (Conclusion) :
हमने यह लेख ‘केदारनाथ धाम की सच्ची कहानी’ में केदारनाथ मंदिर के बारे में हर सम्भव पूर्ण जानकारी देने की प्रयास की है। केदारनाथ धाम (Kedarnath dham) कहां है और इसका विशेष महत्त्व के बारे में हमने बताया है। इस के साथ ही केदारनाथ के इतिहास तथा मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथाएं पर भी प्रकाश डाला। केदारनाथ मंदिर (Kedar nath mandir) कैसा है तथा इससे संबंधित रोचक और रहस्यमयी तथ्यों को भी प्रस्तुत किया है।
अंत में तीर्थ यात्रीयों के लिए केदारनाथ जाने के लिए आवश्यक जानकारी के साथ ही मंदिर खुलने और बंद होने तथा दैनिक पूजा आराधना के विषय में अन्य जरुरी जानकारी देकर केदारनाथ धाम की सच्ची कहानी को समापन किया है।
इस लेखको पढ़कर आपके मन में कोई भी विचार या सुझाव आए तो कृपया नीचे कमेंट करें।
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath mandir) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) :
केदारनाथ मंदिर के बारे में विशेष बात क्या है?
केदारनाथ का पहला विशेषता ये है कि यह मंदिर सबसे पहले पांडवों ने बनाया था। दूसरा विशेषता ये है कि केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। केदारनाथ उत्तराखण्ड के चार धाम में से भी एक है। पंच केदार का भी एक भाग है यह मंदिर।
केदारनाथ यात्रा के लिए कैसे बुक करें?
केदारनाथ यात्रा करने के लिए अनलाइन बुकिंग सेवा उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (Uttarakhand Tourism Development Board) की अफिसियल वेबसाइट द्वारा प्रदान की जाती है।
केदारनाथ में हेलीकप्टर सेवा का खर्च कितना है?
आधिकारिक स्रोत के अनुसार, सेरसी से तथा फाटा से केदारनाथ के आने-जाने का किराया लगभग 5500 रुपये, और गुप्ताकाशी से केदारनाथ का आने-जाने का किराया 7740 रुपये लगता है।
केदारनाथ की पैदल यात्रा कितने किलोमीटर की है?
गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए करीब 16 किलोमीटर पैदल यात्रा करना होता है। सुबह गौरीकुंड से करीब 8 बजे से पैदल चढ़ाई शुरू करके शाम तक केदारनाथ पहुंचा जा सकता है।
केदारनाथ मंदिर के पास कौन सी नदी बहती है?
केदारनाथ पर्वत के महत्वपूर्ण नदी मंदाकिनी है, जो केदारनाथ मंदिर के ऊपर स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर से निकलती है।
केदारनाथ में बाढ़ कैसे आया था?
जून 2013 में, उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में बादल फटने के कारण ऊपर स्थित चौराबाड़ी ताल टूट गया जिससे मंदाकिनी नदी में विध्वंसक बाढ़ आयी और भूस्खलन भी हुआ।