आइए इस लेख में गरुड़ पुराण के बारे में सारी बातें जानने की प्रयास करते हैं। गरुड़ पुराण की सच्चाई क्या है और गरुड़ पुराण में कितने अध्याय होते हैं (Garud puran me kitne adhyay hote hai) तथा गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए ये भी जानते हैं। पर इससे पहले गरुड़ पुराण क्या है ये जान लेते हैं।
गरुड़ पुराण क्या है :
गरुड़ पुराण 18 महापुराणों में से एक पुराण है जिसको कई दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गरुड़ पुराण कथा में विष्णु भगवान और उनके वाहन गरुड़ पक्षी के मध्य जो प्रश्नोत्तर हुआ था उसी संवाद को प्रस्तुत किया गया है।
प्राचीन समय में गरुड़ देव ने भगवान विष्णु से प्रश्न पूछा था : उनके प्रश्न प्राणि की मृत्यु, मृत्यु के बाद यमलोक की यात्रा, नरक, स्वर्ग, योनियां तथा सदगति आदि के बारे में थे। गरुड़ जी ने इस प्रकार के अनेक महत्त्वपूर्ण तथा रहस्यात्मक प्रश्न पूछे थे। भगवान विष्णु ने इन सभी प्रश्नों का विस्तार पूर्वक जवाब दिया था और यही प्रश्नोत्तर की श्रृंखला और उनके मध्य हुए संवाद ही आज गरुड़ पुराण का आधार है।
गरुड़ पुराण में कितने अध्याय होते हैं :
आइए अब गरुड़ पुराण में कितने अध्याय होते हैं (Garud puran me kitne adhyay hote hai) ये पता करते हैं। विभिन्न ग्रन्थों और अन्य स्रोतों के आधार पर ऐसा लगता है कि गरुड़ पुराण कथा में वैसे तो कुल 270 से 300 अध्याय होना चाहिए और इसके श्लोक संख्या 18 से 19 हजार होना चाहिए। लेकिन बाद में कुछ लेखकों द्वारा संकलित संस्करण में गरुड़ पुराण को सहज तरिके से 16 अध्यायों में बांटा गया है।
गरुड़ पुराण किसने लिखा :
गरुड़ पुराण महर्षि वेदव्यास जी द्वारा लिखी गई रचना है जिसमें मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु और फिर मृत्यु के बाद भी क्या-क्या होता है इस बारे में विष्णु भगवान और गरुड़ के बीच का संवाद प्रस्तुत किया गया है।
गरुड़ पुराण में क्या है? गरुड़ पुराण का महत्व क्या है?
सनातन धर्म के 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। गरुड़ पुराण के श्लोकों में मनुष्य के जीवन से संबंधित गूढ़ विषयों को उल्लेख किया गया है। इस पुराण में कई महत्वपूर्ण बातों के अलावा धर्म, नीति, ज्ञान, रहस्य, आत्मा, स्वर्ग, नरक, लोकों का वर्णन और विभिन्न प्रकार के योनियां आदि का वर्णन किया गया है। गरुड़ पुराण कथा का पाठ करने से या श्रवण मात्र करने से भी मनुष्य को सदाचार, भक्ति, धर्म, यज्ञ, तप आदि के महत्व के बारे में पता चल सकता है।
गरुड़ पुराण में विष्णु भगवान ने अपने वाहन गरुड़ से संवाद करते हुए मनुष्य के विभिन्न कर्मों के अनुसार मृत्यु के बाद की अवस्थाओं का भी वर्णन किया है। ऐसा माना जाता है कि जो भी गरुड़ पुराण कथा में दी गई ज्ञान तथा शिक्षा को अपने जीवन में पालन करता है, वो सदा ही अपने कामों में सफल रहता है।
इस महापुराण में मनुष्य के दिनचर्या के बारे में भी अनेक शिक्षा दी गई है जिनका हमेसा पालन करने पर मनुष्य का भाग्य सुधर जाता है और उसे अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही धन का भी साथ मिलने लगता है। इसके साथ ही गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद मनुष्य का क्या होगा और वो किस प्रकार की योनियों में जन्म लेगा इन सब बिषयों पर जानकारी दी गई है।
कब पढ़ना चाहिए गरुड़ पुराण :
हिंदू धर्म के अनुसार सामान्य तौर पर किसी की मृत्यु होने के बाद गरुड़ पुराण का पाठ तथा श्रवण किया जाता है। ऐसा मान्यता है कि 13 दिनों तक मृतक की आत्मा घर के आसपास ही रहती है और इसलिए गरुड़ पुराण का पाठ उस समय कराने से मृतक भी इसे सुन पाते हैं और उसको सदगति प्राप्त हो जाती है। ऐसा करने से सांसारिक मोह माया का त्याग करके मुक्ति की राह पर चलने में मृतक की आत्मा को सहज हो जाता है।
यही बजह से लोगों के मन में यह धारणा बैठ गया कि गरुड़ पुराण केवल किसी की मृत्यु पश्चात उसी घरों में ही सुना जाना चाहिए। पर सच तो यह है कि गरुड़ पुराण को कोई भी व्यक्ति द्वारा किसी भी सामान्य दिन में भी पाठ तथा श्रवण किया जा सकता है।
हां, जो कोई भी व्यक्ति इसे पढ़ने की इच्छा करता है वह पवित्र और शुद्ध मन के साथ गरुड़ पुराण का पाठ कर सकता है। गरुड़ पुराण में दैनिक जीवन के लिए आवश्यक होने वाले कई महत्त्वपूर्ण शिक्षा दिया गया है और इसे पढ़ने से सामान्य मनुष्य को धर्म का रास्ता और अधर्म का रास्ता पहचान पाना सहज हो जाता है।
गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद क्यों सुनाते हैं :
मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ कराने से क्या लाभ है? गरुड़ पुराण में मनुष्य के जन्म से मृत्यु और इसके बाद की अवस्था के बारे में बताया जाता है। ऐसा विश्वास है कि मृत्यु के 13 दिनों तक मृतक के आत्मा अपनों के बीच ही रहता है। इसलिए इस समय मृतक को यह पुराण सुनाने से वह स्वर्ग नरक आदि, सदगति, दुर्गति आदि के बारे में जान लेता है। गरुड़ पुराण सुनकर वो जान पाता है कि मृत्यु पश्चात की यात्रा में आगे उसे किन-किन बातों का सामना करना होगा।
किसी के मृत्यु होने पर गरुड़ पुराण का पाठ करने से मृतक के परिजन को भी धर्म-अधर्म, अच्छाई-बुराई आदि का ज्ञात होता है और सदगति प्राप्त करने के लिए उन्हें कौन कौन से कर्म करने चाहिए यह भी वे अच्छी तरह से जान पाते हैं।
गरुड़ पुराण में व्यक्ति के विभिन्न प्रकार के कर्मों के आधार पर मिलने वाले विभिन्न नरकों और उनमें दिए जाने वाले दंड के बारे में बताया गया है। व्यक्ति कैसे सदगति की ओर बढ़ सकता है इस का जवाब भी गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु द्वारा दिया गया है।
इसमें सर्व साधारण को ज्ञान, वैराग्य, भक्ति, सदाचार, यज्ञ, दान, तीर्थ आदि शुभ कर्म में प्रेरित करने के लिए कई लौकिक तथा पारलौकिक फलों का वर्णन भी किया गया है। मृतक और मृतक के परिजन को ये सारी बातों से लाभ पहुँच सकता है। ऐसा भी मान्यता है कि गरुड़ पुराण का पाठ से मृतक आत्मा को मुक्ति प्राप्त हो जाता है और उसे सदगति प्राप्त होकर उसे प्रेत योनि में भटकना नहीं पड़ता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस लेख में हमने गरुड़ पुराण के बारे में कुछ जानकारी देने की प्रयास की है। हमने शुरू में गरुड़ पुराण क्या है, गरुड़ पुराण में कितने अध्याय होते हैं, गरुड़ पुराण किसने लिखा है इस तरह के प्रश्नों के जवाब प्रस्तुत किया है।
फिर इसके बाद गरुड़ पुराण का महत्व पर चर्चा करते हुए गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए इस पर भी प्रकाश डाला। अंत में, गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद क्यों पाठ किया जाता है इस पर चर्चा करके इस लेख को समापन किया।
हम आशा करते हैं कि आपको इस लेख के माध्यम से कुछ न कुछ लाभ अवश्य मिला होगा। यहां प्रस्तुत की गई विषयों पर आपका कुछ सुझाव हो तो कृपया नीचे कमेंट करके अपना अमूल्य राय व्यक्त करें।
गरुड़ पुराण से जुड़ी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
मृत्यु के कितने दिन बाद जन्म मिलता है?
गरुड़ पुराण या अन्य हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के बाद 3 दिन से लेकर 40 दिन में मनुष्य का दोबारा जन्म होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार कर्मों का फल अनुसार मनुष्य को पुनर्जन्म मिलता है।
गरुड़ पुराण अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है?
गरुड़ पुराण के अनुसार सबसे बड़ा पाप जीव हत्या को बताया गया है। इसमें बिना कारण पेड़ पौधों को काटना भी पाप माना गया है।
गरुड़ पुराण किसे पढ़ना चाहिए?
सामान्य तौर पर गरुड़ पुराण का पाठ किसी परिजन की मृत्यु के बाद किया जाता है पर इसके अलावा भी अगर कोई भी व्यक्ति गरुड़ पुराण पढ़ना चाहता है तो वह इसे पढ़ सकता है या सुन सकता है। पवित्र भाव और मन के साथ गरुड़ पुराण का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है।
गरुड़ पुराण का पाठ कितने दिन करना चाहिए? गरुड़ पुराण कितने दिन का होता है?
किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर आम तौर पर इस के बाद 12 से 13 दिन तक घर पर ही गरुड़ पुराण का पाठ तथा श्रवण किया जाता है।
गरुड़ पुराण का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
गरुड़ पुराण का पाठ करने से मनुष्य को ज्ञान, यश, विजय, आरोग्य, रूप, लक्ष्मी आदि प्राप्त हो जाता है। और इस पुराणका सदा नियमित रूप से पाठ तथा श्रवण करने से मनुष्य को धर्म के मार्ग और गलत कर्मों के बारे में ज्ञान हो जाता है और वो अंत में स्वर्ग की प्राप्ति के लिए योग्य हो जाता है।