भारत के चार धाम के बारे में तो आपको पता ही होगा। पर क्या आप उत्तराखंड के चार धाम या छोटा चार धाम के बारे में जानते हैं? आज इस लेख में हम उत्तराखंड के चार धाम कौन कौन से हैं इस प्रश्नका जवाब के साथ ही उत्तराखंड के चार धाम (uttarakhand char dham) के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।
हिंदुओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण चार धाम हिमालय क्षेत्र में स्थित हैं। ये सारे धाम उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में हैं।
उत्तराखंड के चार धाम कौन कौन से हैं?
उत्तराखंड के चार धाम के नाम इस प्रकार हैं :
- बद्रीनाथ (भगवान विष्णु को समर्पित)
- केदारनाथ (भगवान शिव को समर्पित)
- गंगोत्री (गंगा को समर्पित)
- यमुनोत्री (यमुना को समर्पित)
इनमें से बद्रीनाथ धाम भारत के चार धाम में भी एक धाम है।
चार धाम का महत्व
आपने उत्तराखंड के चार धाम कौन कौन से हैं ये तो जान लिया। अब इनका महत्व के बारे में जान लेते हैं। उत्तराखंड के चार धाम को छोटा चार धाम (chota char dham) भी कहा जाता है। इसके अलावा सभी चार धाम हिमालय में स्थित होने के कारण हाल ही में कुछ लोग इनको हिमालय की चार धाम भी कहने लगे हैं।
हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक प्रमुख तीर्थस्थल है चार धाम। ऐसा मान्यता है कि हिमालय की चार धाम यात्रा करने वाले व्यक्ति के समस्त पाप मिट जाते हैं और उसे मोक्ष भी प्राप्त हो जाता है।
इस लेख में उत्तराखंड के चार धाम के बारे में चर्चा किया जा रहा है। एक और चार धाम है जिसे भारत के चार धाम कहा जाता है और इसमें बद्रीनाथ, द्वारका धाम, जगन्नाथ पूरी और रामेश्वरम समावेश हैं।
विभिन्न स्थानों से प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में लोग उत्तराखंड क्षेत्र की तीर्थयात्रा करते हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश के साथ, लोग यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ इन चारों धाम के भी दर्शन करने जाते हैं।
चार धाम के सभी मंदिर सर्दी के समय में बर्फ से ढके होने के कारण छह महीने तक बंद रहता है।
उत्तराखंड के चारों धाम के बारे में संक्षिप्त परिचय
आइए अब चारों धाम के बारे में संक्षेप में चर्चा करते हैं।
बद्रीनाथ
बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड में अलकनंदा नदी किनारे बसा हुआ है। समुद्री सतह से करीब 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में विष्णु भगवान के बद्रीनारायण स्वरूप की पूजा की जाती है। इसलिए इस मंदिर को बद्रीनारायण भी कहा जाता है।
भारत के चार धाम में गिना जाने वाला बद्रीनाथ हिंदुओं के लिए एक मुख्य तीर्थ स्थल है। यह मंदिर पंच बद्री का भी एक हिस्सा है।
बद्रीनाथ धाम के बारे में पूर्ण एवं विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लेख में जा सकते हैं।
गंगोत्री
गंगोत्री कहां है :
गंगोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हिमालय क्षेत्र में बसा हुआ है। समुद्री सतह से करीब 3200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से लगभग 90 किमी दूर है।
गंगोत्री का महत्व :
पवित्र गंगा नदी का उद्गम स्थल है गंगोत्री। गंगोत्री मंदिर गंगा को समर्पित है तथा यह मंदिर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। यहां गंगा नदी को भागीरथी के नाम से पहचाना जाता है। भागीरथी और अलकनंदा नदी का देवप्रयाग में संगम होने के बाद भागीरथी का नाम गंगा हो जाता है।
भागीरथी नदी के जल में शिवलिंग के रूप में एक प्राकृतिक चट्टान डूबा रहता है। पौराणिक कथा में बताए अनुसार, शिवजी ने इसी स्थान पर बैठकर गंगा माता को अपनी जटाओं में धारण किया था। सुखा मौसम में गंगा नदी का पानी काफी नीचे जानेपर उक्त पवित्र शिवलिंग के दर्शन मिल सकता है।
गंगोत्री मंदिर का इतिहास :
हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थान गंगोत्री मंदिरका निर्माण गोरखा फौज के कप्तान अमर सिंह थापा ने 18 वीं शताब्दी में कराया था। ऐसा बताया जाता है कि इस के बाद सन् 1935 में जयपुर के राजा माधवसिंह ने मंदिर के जीर्णोद्धार कराई थी। इस कारण ही मंदिर की संरचना में राजस्थानी शैली देखी जाती है।
पौराणिक कथा अनुसार प्रभु श्री राम के पूर्वज चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने यहां एक पवित्र शिलाखंड पर शंकर भगवान की तपस्या की थी। 18 वीं शताब्दी में यही शिलाखंड के निकट मंदिर बनवाया गया।
गंगोत्री कब जाना चहिए :
प्रत्येक साल मई से अक्टूबर महीना में गंगोत्री मंदिर के दर्शन करने के लिए लाखों के संख्या में तीर्थयात्री यहां पहुँचते हैं। सर्दियों के समय बर्फबारी के कारण मंदिर बंद रहता है। आम तौर पर गंगोत्री मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर खुलता है और दीपावली के बाद दूसरे दिन से सर्दियों के लिए बंद कर दिया जाता है।
2023 में गंगोत्री मंदिर के कपाट खुल्ने और बंद होने के तिथि :
2023 में मंदिर के कपाट खुल्ने के तिथि: | साल 2023 में गंगोत्री धाम के कपाट 22 अप्रैल 2023 से ही खुल चुका है। |
2023 में मंदिर के कपाट बंद होने के तिथि: | साल 2023 में गंगोत्री धाम के कपाट 13 नवंबर 2023 से बंद होंगे। |
गंगोत्री कैसे जाएं :
हवाई मार्ग से : | निकटतम एयरपोर्ट मंदिर से करीब 270 किलोमीटर दूर देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। यहां से गंगोत्री के लिए टैक्सी व बस सेवा उपलब्ध रहती है। |
रेल मार्ग से : | निकटतम रेल स्टेशन मंदिर से करीब 240 किलोमीटर दूर ऋषिकेश स्टेशन है। वहां से गंगोत्री के लिए बस या टैक्सी मिल जाता है। |
केदारनाथ
केदारनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में गढ़वाल हिमालय श्रृंखला पर अवस्थित है। समुद्री सतह से करीब 11,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भारत के एक प्रसिद्ध और पवित्र हिंदू तीर्थस्थल है। उत्तराखंड के चारों धामों में से यह मंदिर सबसे ऊंचाई में बसा हुआ है।
यह मंदिर पंच केदार में एक है और इसके साथ ही भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में भी केदारनाथ मंदिर के शिवलिंग की गणना की जाती है।
केदारनाथ धाम के बारे में पूर्ण एवं विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लेख में जा सकते हैं।
नोटः इस लेख में गंगोत्री तथा यमुनोत्री धाम के बारे में कुछ विस्तार से चर्चा किया गया है जब की बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के बारे में संक्षेप में बताया है। इसका एक ही कारण है कि इसी वेबसाइट में बद्रीनाथ तथा केदारनाथ के बारे में दो अलग अलग विस्तृत लेख मौजूद हैं जिनका लिंक भी दिया गया है।
यमुनोत्री
यमुनोत्री कहां है :
यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बांदरपुंछ के पश्चिम की ओर समुद्री सतह से करीब 3200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर दूर यमुना नदी का उद्रम स्थान है। समुद्री सतह से लगभग 4400 मीटर की ऊँचाई में कालिंद पर्वत पर बर्फ की जमी हुई झील है और यही यमुनोत्री का उद्गम स्थल है।
यमुनोत्री का महत्व :
चार धाम यात्रा के क्रम में सबसे पहले इस धाम के यात्रा किया जाता है। यमुनोत्री मंदिर यमुना देवी को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है। यमुनोत्री का वर्णन पुराण, वेद जैसे धर्मग्रन्थों में भी पाया जाता है।
महाभारत के कथा अनुसार पांच पाण्डव ने सबसे पहले यमुनोत्री, फिर गंगोत्री और इसके बाद केदारनाथ तथा बद्रीनाथ के तीर्थयात्रा किया था, तब से ही उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की सुरुवात हुई है।
यमुनोत्री मंदिर क्षेत्र में दो मुख्य कुंड हैं। पहला है सूर्यकुंड जो वहां का सबसे गरम कुंडों में से एक है जिसके पानी का तापमान करीब 90 डिग्री सेन्टिग्रेड रहती है। लोग कपड़े की पोटली में चावल और आलू बांधकर यही कुंड के गर्म पानी में पकाते हैं जिसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
देवी को चढ़ाने के बाद पकाये हुए इन चावलों को लोग अपने घर में भी प्रसाद के रूप में लेकर जाते हैं। सूर्यकुंड के समीप एक दिव्य शिला है जिसे लोग पहले पूजा करते हैं और फिर यमुना की पूजा करते हैं।
यमुनोत्री का इतिहास :
माना जाता है कि सबसे पहले यमुनोत्री मंदिर का निर्माण सन् 1839 में टिहरी के राजा सुदर्शन शाह ने करवाया था। बाद में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण मंदिर को क्षति पहुँचा था। फिर बाद में यमुनोत्री मंदिर का पुनर्निर्माण भी करवाया गया।
यमुनोत्री कब जाना चहिए :
सर्दी के समय में यमुनोत्री मंदिर बर्फ से ढका रहता है जिसके कारण यमुना देवी के दर्शन करने के लिए तीर्थयात्रीयों को यहां मई से अक्टूबर महिना में आना चाहिए। आम तौर पर यमुनोत्री मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर खुलता है और दीपावली के बाद दूसरे दिन से सर्दियों के लिए बंद कर दिया जाता है।
2023 में यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुल्ने और बंद होने की तिथि :
2023 में मंदिर के कपाट खुल्ने के तिथि: | साल 2023 में यमुनोत्री धाम के कपाट 22 अप्रैल 2023 से ही खुल चुका है। |
2023 में मंदिर के कपाट बंद होने के तिथि: | साल 2023 में यमुनोत्री धाम के कपाट 13 नवंबर 2023 से बंद होंगे। |
यमुनोत्री कैसे जाएं :
हवाई मार्ग से : | निकटतम एयरपोर्ट मंदिर से करीब 199 किलोमीटर दूर देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। यहां से यमुनोत्री के लिए टैक्सी व बस सेवा उपलब्ध रहती है। |
रेल मार्ग से : | निकटतम रेल स्टेशन मंदिर से करीब 200 किलोमीटर दूर ऋषिकेश स्टेशन तथा देहरादून स्टेशन (लगभग 175 किमी) है। वहां से यमुनोत्री के लिए बस या टैक्सी मिल सकता है। |
निष्कर्ष (Conclusion) :
आज के इस लेख में हमने उत्तराखंड के चार धाम के बारे में चर्चा किया है। उत्तराखंड के चार धाम कौन कौन से हैं, उत्तराखंड के चार धाम के नाम अर्थात छोटा चार धाम के नाम, चार धाम के महत्व और चार धाम के इतिहास समेत कुछ अन्य विषयों पर भी चर्चा की है।
आपको यह लेख अच्छा लगा होगा यही हम आशा करते हैं। अगर उत्तराखंड के चार धाम संबंधी आपका कुछ भी सुझाव हो तो कृपया नीचे कमेंट करके अपना राय व्यक्त करें।
उत्तराखंड के चार धाम संबंधी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) :
क्या उत्तराखंड के चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होता है?
हां, चार धाम यात्रा करने वाले भक्तों को रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। चार धाम यात्रा करने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
चार धाम यात्रा का सही क्रम क्या है? चार धाम यात्रा में सबसे पहले किस धाम पर जाना चाहिए?
चार धाम यात्रा को इस क्रम में करना चाहिए : सबसे पहले उत्तराखंड के चार धाम यात्रा यमुनोत्री से शुरू करना चाहिए और इसके बाद गंगोत्री जाना चाहिए। फिर केदारनाथ का दर्शन करके अंत में बद्रीनाथ धाम पर जाकर यात्रा समाप्त करना चाहिए।
उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में कितने दिन लगते हैं?
वैसे तो ये बात यात्रा योजना में निर्भर रहता है पर सामान्य तौर पर हरिद्वार से शुरू करके चारों धाम में पहले यमुनोत्री फिर गंगोत्री और उसके बाद केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ यात्रा के लिए लगभग 10 से 12 दिन का समय लग सकता है।
उत्तराखंड में कौन सा धाम के यात्रा सबसे कठिन है?
चारों धाम में से यमुनोत्री को सबसे कठिन कहा जा सकता है। अन्य धामों की अपेक्षा यमुनोत्री कम ऊंचाई पर स्थित होने के बावजूद मंदिर का रास्ता को कठिन तथा चुनौतीपूर्ण माना जाता है।